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आज फिरसे हंस रही है, बीसवीं सदी॥

સામાન્ય

आरंभमें व्यथित थी, ये बींसवीं सदी।

आज फिरसे हंस रही है, बीसवीं सदी॥

 

विश्वयुध्धने हृदय हृदयको चूर्ण कर दिया।

मनुष्यताके मुल्यका असरने हनन किया।

भाव गंग आज सबके दिलमें बह रही …            आज…

 

प्रांतवाद, कौमवाद, भोगवाद बढ गये।

गांधी जैसे संतके रुधिरभी छिड़क गये।

संतान है प्रभुकी बात मन में बस गई …            आज…

 

गाँव गाँवमें प्रभु विचार पुष्प खिल गये।

कार्यके श्रीफल हरिके चरणमें चढा दिये।

अमृतालयम कृषिकी भेंट है मिली …               आज…

 

दैवी अर्थशास्त्र पांडुरंगने खुला किया।

गरीबको अमीर दिलका आज है बना दिया।

तीर्थराजके मिलनमें बात खुल गई …              आज…

 

आयेगी नयी सदी नये निशान पायेंगे।

गाँव गाँव अमृतालयमकी भेंट पायेंगे।

खीलेगी बंधुता प्रभुके छत्रमें तभी …                आज…

 

वसुंधरा बनेगी स्वर्ग विश्वमें तभी॥

=== ॐ ===

होजा तु सज्ज, और आजा मैदानमें ॥

સામાન્ય

(રાગ  – ભક્તિ સમજાવી છે ગીતામાં વાંચજે…)

 

सोया जवान क्युं है, युग युग की नींदमें।

होजा तु सज्ज, और आजा मैदानमें ॥

 

लंकामें आज है दिवाली मनाई।

रामकी अयोध्या में होली जलाई।

कुंभकर्ण रावण मिटादे संग्राम में…                                          होजा तु…

 

नजरोकी कैदमें सीतायें पडी है।

श्यामा की लज्जा बाजार में बिकी है।

जान कर अंजान क्युं है जिंदगीका दान दे…                            होजा तु…

 

संस्कृति धर्मके मंदिर को है लुटा।

श्रद्धा के स्थानोंका पावित्र्य टूटा।

बनजा दिवाना तु उन सबके  प्रेम में…                                    होजा तु…

 

संग्रहस्थानोका तु शस्त्र नहीं है।

अर्थहीन लिखा हुआ शास्त्र नहीं है।

ज्ञान और शक्तिकी ईश्वर को भेंट दे…                                    होजा तु…

 

की है ललकार पांडुरंगने जहाँ में।

ले ले शरण तु तो उनकी पनाह में।

तेरे पराक्रम से लिख कारनामे…                                            होजा तु…

    ===ॐ===