गंगा यमुना सरस्वती,
करती सबकी उर्ध्वगति . . . गंगा . . .
कोटि कोटि जन संगम नहाते,
पाप चढाकर पुण्य कमाते,
स्वाध्यायी लाये भक्ति . . . गंगा . . .
युग द्रष्टाकी कहानी बानी,
प्रभु कार्यकी अमर कहानी,
पीठीका है ईश भक्ति . . . गंगा. . .
मेल हुआ मानव मानवका,
खेल मिटा अब ऊंचनीचका
ईश संतान सभी ये मति . . . गंगा . . .
कृति चढाने कॄषि बनाये,
वृक्षोमें विष्णु मन भाये,
प्रकट हुई विष्णु पत्नी . . . गंगा . . .
भक्तिकी शक्ति प्रकटाई,
संघ शक्तिकी ज्योत जलाई,
की अमृतालयम् कृति . . . गंगा . . .
जन सेवा नहीं ध्येय हमारा,
हो युग परिवर्तन ये नारा,
लाचारीसे हो मुक्ति . . . गंगा . . .