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कृणवन्तो विश्वमार्यम् ।

સામાન્ય

सारे जगमें ईश वाहक बन गुंजेंगे हरदम,

कृणवन्तो विश्वमार्यम् । (४)

 

भेदभाव हो ऊंचनीचके दफन उसे कर देंगे,

दानव वृत्तिको संहारे कफन लिये घूमेंगे,

हृदयकी बीना पर छेडे भक्तिकी सरगम ।

कृणवन्तो विश्वमार्यम् । (४)

 

शौर्य और स्वार्पणके गीत जनगण वृंदोमें गाये,

अस्मिताकी तेजकीर्ण मानव मनमें प्रकटाये,

ईश श्रद्धा विश्वास जगाकर हम कर दे हमदम ।

कृणवन्तो विश्वमार्यम् । (४)

 

अनिष्ट अत्याचार अनर्थोको जगसे मिटाये,

आलसकी निंद्रामें सोये जन जागृत कर पाये,

मानव मन शक्तिसे भर दे और जलाये गम ।

कृणवन्तो विश्वमार्यम् । (४)

 

ऋषि दधीचिका बलिदान हमको आज पुकारे,

अर्जुनके गांडीवका गर्जन शौर्य गीत ललकारे,

अपना रक्त बहाकर करना संस्कृति रक्षण ।

कृणवन्तो विश्वमार्यम् । (४)

 

वसुधा एक कुटुंब बने ऐसा हम यत्न करेंगे,

एक वृत्ति विचार एक ऐसा बंधुत्व रचेंगे,

वैचारीक क्रांति फैलाकर सर्जे स्वर्ण नूतन ।

कृणवन्तो विश्वमार्यम् । (४)

    === ॐ ===

होजा तु सज्ज, और आजा मैदानमें ॥

સામાન્ય

(રાગ  – ભક્તિ સમજાવી છે ગીતામાં વાંચજે…)

 

सोया जवान क्युं है, युग युग की नींदमें।

होजा तु सज्ज, और आजा मैदानमें ॥

 

लंकामें आज है दिवाली मनाई।

रामकी अयोध्या में होली जलाई।

कुंभकर्ण रावण मिटादे संग्राम में…                                          होजा तु…

 

नजरोकी कैदमें सीतायें पडी है।

श्यामा की लज्जा बाजार में बिकी है।

जान कर अंजान क्युं है जिंदगीका दान दे…                            होजा तु…

 

संस्कृति धर्मके मंदिर को है लुटा।

श्रद्धा के स्थानोंका पावित्र्य टूटा।

बनजा दिवाना तु उन सबके  प्रेम में…                                    होजा तु…

 

संग्रहस्थानोका तु शस्त्र नहीं है।

अर्थहीन लिखा हुआ शास्त्र नहीं है।

ज्ञान और शक्तिकी ईश्वर को भेंट दे…                                    होजा तु…

 

की है ललकार पांडुरंगने जहाँ में।

ले ले शरण तु तो उनकी पनाह में।

तेरे पराक्रम से लिख कारनामे…                                            होजा तु…

    ===ॐ===